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HomeUncategorizedश्रीराम के आदर्शों को जीवन चरित्र में उतारने की सीख

श्रीराम के आदर्शों को जीवन चरित्र में उतारने की सीख

58 सालों से अनोखे तरीके से यहां हो रही राम भक्ति, दूर-दूर तक है इस प्रथा के चर्चे :

TV20भारतवर्ष चौरई : छिंदवाड़ा के चौरई में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पारंपरिक तरीके से मनाई जाती है। यहां सावन के महीने में पिछले 58 सालों से ये कार्यक्रम किया जा रहा है, जिसमें कई तरह की सांस्कृतिक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है।

प्रतियोगिता में दूर दूर से आए प्रतिभागी भाग लेते हैं, अनेकों प्रकार के शैला, गेड़ी नृत्य, विभिन्न प्रकार की झांकी अयोध्या में विराजमान भगवान राम की झांकी,तो कहीं भगवान राम सीता लक्ष्मण की झांकी व जगह जगह पर विशाल भण्डारे का आयोजन नगर के लोगों के द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देखने मिला।

सावन के महीने का मतलब शिव भक्ति और आराधना का महीना होता है। लेकिन कुछ भक्ति और आराधना के ऐसे तरीके होते हैं कि वह मिसाल बन जाते हैं। ऐसी ही एक कहानी है छिंदवाड़ा अंतर्गत चौरई की है जहां, पिछले 58 सालों से सावन के महीने में गोस्वामी तुलसीदास जयंती पारंपरिक तरीके से मनाई जाती है। जिसमें कई तरह की अनोखी और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि इस कार्यक्रम की चर्चा पूरे देश में होती है।

1967 से शुरू हुई परंपरा आज भी जीवित है

बताया जाता है कि 58 साल पहले चौरई के माता मंदिर में 1967 में रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाने का सिलसिला शुरू हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज का जन्म सावन में हुआ था। इसलिए उनके द्वारा रचित श्री रामचरितमानस के अखंड पाठ की शुरुआत सावन के पहले दिन से ही हो जाती है। यह कार्यक्रम लगातार 21 दिनों तक चलता है। इससे एक सप्ताह पूर्व पारंपरिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

इस कार्यक्रम में देशभर की मंडल व मंडलियां लेती हैं हिस्सा

रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती के मौके पर 21 दिनों तक 24 घंटे चलने वाले अखंड रामायण पाठ का समापन पूर्णाहुति के साथ किया जाता है। इसके साथ ही ग्रामीण परिवेश का सबसे मुख्य झांझे भजन प्रतियोगिता और फिर ग्रामीण इलाकों का सबसे प्रमुख नृत्य शैला आयोजित होता है। वहीं, इस आयोजन में अखिल भारतीय स्तर का मानस पाठ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जिसमें देशभर के अलग-अलग प्रान्तों से मानस मंडली पहुंचती है।

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